पुलवामा धमाके_की_रात
धमाके_की_रात
हम आपके साथ हैं प्रधानमंत्री जी
〰〰〰〰〰जय हिंद🇮🇳 🙏🙏
Sudesh DJV writes on contemporary subjects in the form of Articles and poems which is in the interest of the Nation in particular and for the Mankind in general.
पुलवामा के धमाके वाली रात विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री सारे आफिसियल कार्य निबटाते हुए जब प्रधानमंत्री आवास पहुँचा तो उसकी डिनर टेबल पर आज उसकी प्रिय खिचड़ी उसका इंतजार कर रही थी...लेकिन उस तरफ वो गया ही नहीं और बाहर बरामदे, क्यारियों व बड़े से घसियाले मैदान टाईप लान में ही निरंतर टहलता रहा......
अब चूँकि वह दुनिया भर के आतंकियों कि हिटलिस्ट में है इसलिए उसकी सुरक्षा-ब्यवस्था भी उतनी ही चाक-चौबन्द है क्योंकि सुरक्षा ऐजेंसियाँ भी उस निर्भीक, निडर और स्वतंत्र भारत के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण ब्यक्ति के महत्व को बख़ूबी समझती हैं.....
रात 3 बज चुके थे मगर यह ब्यक्ति तो निरंतर माथे पर चिंतन की रेखाओं और हृदय में आक्रोश के साथ बस टहले ही जा रहा था जैसे बहुत सारे विकल्पों को बार बार सोच सोच कर क्रम से जमाता...और फिर सारे क्रम को बिखरा कर पुनः नये क्रम में सजाने लगाता....मगर यह क्रम जैसे बार बार बिगड़ जा रहे थे....
चारों तरफ लगे सुरक्षा-कैमरे निरंतर निरंतर अपना काम कर रहे थे...और काम कर रहे थे उन कैमरों पर निगाह रखने वाले वो अफ़सर...जो हर 20 मिनट में अपने ऊपर के अधिकारी को रिपोर्ट भेज रहे थे....नतीजा यह हुआ...कि साढ़े तीन बजते बजते आई बी चीफ, सी बी आई चीफ, सुरक्षा सलाहकार और कई महत्वपुर्ण ऐजेंसियों के चीफ एक एक करके गार्डेन के एक कोने में जमा हो गये थे...जबकि उन्हे इसके लिए कोई आदेश नहीं मिला था.....इधर तमतमाये चेहरे के साथ टहलना जारी रहा...उधर उन अधिकारियों के चेहरे बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी.....
अंततः....बीतती हुई रात्रि के पौने चार बजने वाले थे .....सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल धीमी गति से आगे बढ़े और उन्हे धीरे से पुकारा......आग्नेय नेत्रों से उन्होने डोभाल को घूरा और फिर थोड़ा चौंकते-से हुए बाकी अधिकारियों की ओर देखा ......वो एक क्षण-मात्र के लिए रुके और उन सभी को पीछे आने का इशारा करते हुए अंदर की ओर बढ़ गये....लगभग डेढ़ घंटे की गंभीर मीटिंग के बाद अधिकारी-गण एक एक कर के वहाँ से विदा हुए तो सबसे अंतिम में डोभाल बाहर निकले....इस बीच उन्होने केवल पानी ही पिया था....और फिर सुबह की नित्यक्रिया करते हुए वह अगले दिन के तय कार्यक्रम में प्रस्तुत हो गये....उनके तमतमाये चेहरे ने अब धीर-गंभीरता ओढ़ ली थी...जो अगले दिनों के लगभग प्रत्येक कार्यक्रम में दिखी।
(प्रधानमंत्री-आवास के एक अधिकारी का अपने सीनियर को दी गयी रिपोर्ट)
अब अगर आपको लगता है कि यह ब्यक्ति इस घटना के पीछे के दोषियों को यूँ ही छोड़ देगा तो आपको स्वयं के लिए अवश्य किसी मनोचिकित्सक की आवश्यकता है।
हम तो बस इतना ही कहेंगे कि.....
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰हम आपके साथ हैं प्रधानमंत्री जी
〰〰〰〰〰जय हिंद🇮🇳 🙏🙏
Sudesh DJV writes on contemporary subjects in the form of Articles and poems which is in the interest of the Nation in particular and for the Mankind in general.
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