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Sushant Singh Rajput A lesson to learn

Author of the below article is not known. 



मुंबई में सुशांत सिंह राजपूत ने अपने फ़्लैट में फाँसी लगा कर आत्महत्या (जैसा लोग कह रहें है ) कर ली | कर ली तो कर ली | दोस्त लोग कह रहे हैं वो कई महीनों से डिप्रेशन से पीड़ित थे | दोस्त लोग कह रहे हैं तो सही होगा | 

सिर्फ चौंतीस साल की उम्र में अच्छी शिक्षा ,अच्छा खान-पान ,मौज-मस्ती ,मुंबई की चमक -धमक वाली जीवन,गर्लफ्रैंड,पैसा,स्टारडम,जो चाहे वो पाए , उसके बाद एक संघर्ष शुरू हुआ (हो सकता है) और फिर तुरंत आत्महत्या | क्योंकि यही सबसे आसान है | जी लिए जितना जीना था और चले गए | एक झटके में सबकुछ छोड़ कर | कई सपनों को तोड़कर | कई उम्मीदों को ठोकर मारकर | 

जी हाँ ,सब कुछ ख़त्म कर दिया सुशांत ने कुछ भी नहीं छोड़ा | लेकिन ऐसा नहीं है ,अभी कुछ बचा है | आइये पटना चलते हैं जहाँ उनके पिता जी रहते हैं | जिन्होंने जीवन भर संघष किया ,जीने के लिए | परिवार के लिए | बच्चों के लिए | बच्चों के सपनों के लिए | अपने स्वाभिमान के लिए | अपने गर्व के लिए | लेकिन कभी आत्महत्या करने को नहीं सोची |  

उन्होंने अपने बेटे को खूब अच्छे से पाला-पोषा | बढ़िया शिक्षा दी | इंजीयरिंग कराया लेकिन नौकरी के लिए बाध्य नहीं किया | बेटे को हीरो बनना था ,साथ खड़े हो गए | क्योंकि सुशांत से बड़े उनके पिता के सपने थे | जीवन भर साथ निभाने का वादा करके आयी पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया | उस बूढ़े बाप ने धीरे-धीरे अपनी बेटियों की शादी कर दी ,एक बेटी ने भी साथ छोड़ दिया | लेकिन टूटा नहीं ,संघर्ष करता रहा | वो जी रहा है ,अपने संघर्षों के बावजूद, वो जी रहा है | बीवी साथ नहीं थी, लेकिन वो  जी रहा है | एक बेटी ने साथ छोड़ दिया लेकिन वो जी रहा है | क्योंकि उसकी आँखों में एक सपना था ,बेटे को कामयाब होते देखने का सपना | 

संघर्षों से सदा लड़ा वो बाप,उसे पैसे की चाह नहीं थी | उसका धन उसका बेटा था | उसका सपना उसका बेटा था | उसका गर्व उसका बेटा था | उसका स्वाभिमान उसका बेटा था | उसका मनोबल उसका बेटा था | उसके लिए जीने का मतलब ही उसका बेटा था | 

आज बेटे ने ही जीवन से हार मान ली और ये भी नहीं सोचा उस उन एक जोड़ी बूढ़ी आँखों का क्या होगा जिसने बेटे के सपनों के लिए अपने सारे सपने तोड़ डाले | वो गर्व ,वो स्वाभिमान ,वो मनोबल,वो सपना,वो धन,वो उम्मीदें सब एक झटके में खत्म हो गया | 🤔

मैं यही सोच रहा हूँ कि वास्तव में मरा कौन ? सुशांत या उनके पिता

Sudesh DJV writes on contemporary subjects in the form of Articles and poems which is in the interest of the Nation in particular and for Mankind in general.

Comments

Unknown said…
बहुत ही सुंदर लेख और विचार , जो लेखक के अंतर मन से आ रहे है। आप के इस प्रयाश के लिए में आपको दिल से शुभकामनाएं एवं बधाई प्रेषित करता हूँ ।

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