Hindu Genocide at Uganda युगांडा हिंदू जन संहार 1972
युगांडा जन संहार 1972
युगांडा एक अफ्रीकी देश है जो केन्या के बगल मे स्थित है। पूर्व मे यह देश भारत की तरह अंग्रेजों का गुलाम था। अंग्रेज बहुत सारे भारतीयो को युगांडा लेकर गये जो वहां बस गये। कुछ भारतीय वहां रोजगार धन्धे के लिए भी गये और वहीं बस गये। यहां की आवादी मे 85% मुस्लिम, 14 % ईसाई थे।
भारतवासियों ने वहाँ जाकर अपने पुरूषार्थ का पसीना बहाया जिसके फलस्वरूप वे वहाँ जाकर समृद्ध बन गए. उद्योग -धंधे से लेकर राजनीति तक में भारतीयों का सिक्का चल पड़ा।
ईदी अमीन नाम के एक मुस्लिम सैन्य अधिकारी ने 1971 में तख्ता पलटकर मिल्टन ओबेटो को हटा दिया और स्वयं युगांडा का प्रमुख बन गया। अपने शासन के एक साल बाद 1972 में, इसने गैर मुस्लिम भारतीयों को बाहर निकल जाने का फरमान सुनाया. इस फरमान के बाद भी जब प्रवासी भारतीय हिंदूओं ने युगांडा नहीं छोड़ा तो उसने अपने इस्लामिक सैनिकों को लूट-मार करने की खुली छूट दे दी।
युगांडा के सेंट्रल और उत्तरी जोन में मुसलमान ज्यादा रहते हैं और इसी जोनमें प्रवासी भारतीय भी ज्यादा रहते थे. ईदी अमीन की खुली छूट के कारण सेना के साथ-साथ मुसलमानों ने भी हिंदुओं को मारना-पीटना और लूटना शुरु कर दिया जिसके कारण अपने कठिन परिश्रम से अर्जित पीढ़ियों की समूची कमाई छोड़कर हिंदूओं को वहां से भागना पड़ा।
सेना और मुस्लिम जनता ने मिलकर हिंदूओं की संपत्ति पर कब्जा कर लिया। सैकड़ों हिंदूओं को मार भी दिया गया. फिर भी 60000 लोग वहां से भागने में सफल रहे._ इनको वहां से सुरक्षित निकालने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इंदिरा गांधी तब देश की प्रधानमंत्री थी. युगांडा के हिंदूओं पर अत्याचार को देखकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मा० बालासाहेब देवरस जी ने इंदिरा गांधी से संयुक्त राष्ट्र में शिकायत करने की अपील की, किंतु हिन्दुओं के लिए इन्दिरा गांधी ने कोई कदम नहीं उठाया।
तब संघ के सर संघचालक जी ने केन्या के हिंदू संगठनों को तार भेजकर भारत वंशियों को सहायता करने की अपील की।दरअसल केन्या युगांडा का पड़ोसी देश है और केन्या में 1947 के मकर संक्रांति के दिन संघ के स्वयंसेवकों ने ’भारतीय स्वयंसेवक संघ’ नामक संगठन का निर्माण किया था और यह बहुत जल्दी ही एक बड़ा संगठन बन गया था।
खैर संकट की उस घड़ी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के केन्या की अपनी शाखा (भारतीय स्वयंसेवक संघ) के स्वयंसेवकों ने युगांडा के हिंदुओं के पुनर्वास में तन-मन धन से सहायता की।यहाँ तक कि उन प्रवासी भारतीयों को ब्रिटेन और फिजी भेजने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तब उनके इस कार्य पर अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के दूतावासों ने ’भारतीय स्वयंसेवक संघ’ की प्रशंसा की थी। उन 60000 हिंदूओं में 29000 हिंदूओं ने ब्रिटेन में शरण ली तो 4500 फीजी गए, 5000 ने कनाडा में, 1200 लोगों ने केन्या में शरण ली तो 11000 लोग लौटकर भारत आए।
शुरू में इंदिरा गांधी युगांडा से आए 11000 हिंदूओं पर मौन साधी रही. लेकिन जब अटल बिहारी वाजपेई व लालकृष्ण आडवाणी और समूचा संघ परिवार इस पर शोर मचाने लगा, तब जाकर इंदिरा गांधी को इन्हें नागरिकता देनी पडी।
यह बात जानना भी महत्वपूर्ण है कि जिन 29000 हिंदूओं ने ब्रिटेन में शरण ली थी उसके कारण वहाँ के समाचारपत्रों ने इसके लिए अपनी सरकार की कड़ी आलोचना करना शुरु कर दिया।
ब्रिटेन के अखबारों की आलोचना इतनी कड़वी थी कि मजबूरन वहां के विदेश मंत्री को यह कहना पड़ा कि ’हम इनको ब्रिटेन में नहीं रखने जा रहे हैं. हम इन सभी को भारत भेजेगें।
तब इस मुद्दे पर ब्रिटेन के अधिकारियों और भारत के अधिकारियों में बातचीत शुरू हुई. भारत टस से मस नहीं हुआ. उसके बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इंदिरा गांधी से खुद बात की, किंतु इंदिरा गांधी ने 29000 भारतीयों को लेने से इंकार कर दिया।
बाद में यू एनओ ने हस्तक्षेप किया कि ’यह अभी प्रताडऩा से पीड़ित हैं, इसलिए इनको तत्काल ब्रिटेन में ही रहने दिया जाए’. बाद में उनके अच्छे ब्यवहार के कारण सभी 29000 को ब्रिटेन की नागरिकता दे दी गई।
तब की कांग्रेस और इन्दिरा गांधी की उपेक्षा की वजह से युगांडा ने हिन्दुओं का उत्पीडन हुआ और उन्हें भारत में शरण नहीं दी गई. और वो शरणार्थी बनकर दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हुए।
सन 1971 में, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सरकार ने बंगलादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों के लिए नागरिकता बिल में संशोधन किया और सभी बंगलादेशी मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देकर उन्हें सारी सुविधाएं दी।
कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता केवल हिन्दुओं को सुविधाएं देनें से खराब होती हैं, मुस्लिमों को देने से नहीं. तभी तो आज जब मोदी सरकार दुनियां में सताए जा रहे हिन्दुओं को भारतीय नागरिकता देकर सहारा देना चाहती है, तब कैसे कांग्रेस ने नागरिक संशोधन बिल का विरोध किया, हम सबने व्यथित मन से देखा।
समय है कि दुनियां के हिन्दू समझें कि उनकी चिन्ता करने वाला पूरी दुनियां में यदि कोई है, तो वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वं भाजपा ही है, बाकी केवल वोट के भूखे हैं और देश को खोखला करने की मानसिकता पाले हुए हैं।
कल हमारे वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह जी ने सदन में 1972 मे युगांडा के हिन्दुओं पर हुए जुल्मों का उल्लेख किया और दर्द की उस घड़ी मे कांग्रेस ने हिंदुओं के साथ जो वर्ताव किया उसका जीवन्त वर्णन किया। आप सोचिये क्या इंदिरा जी केवल मुस्लिमो की प्रधानमंत्री थी?? क्या इंदिरा जी को भारतीय हिंदुओं ने बोट नही दिया था??
Information from the pages of history.
Sudesh DJV writes on contemporary subjects in the form of Articles and poems which are in the interest of the Nation in particular and for Mankind in general.
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