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Shaheed Diwas Martyrs day March 23

Shaheed Diwas Martyrs day March 23
Every Indian Shaheed images with the birth and death years

Shaheed Bhagat Singh was born in India which today falls in the part which is in Pakistan after the partition of India in 1947. His birth place, his haveli and the room in which was born is shown with narration during an interview by Pakistani Channel. 


Shaheed Diwas Martyrs day March 23


Pakistani TV reports some interesting details with respect to Bhagat Singh's FIR and related developments.










90 साल पहले.
आज ही के दिन पूरा देश रोया था.
#ShaheedBhagatSingh

दिन था - 23 मार्च 1931 
समय था - शाम 7 बजकर 33 मिनिट 
जगह थी - लाहौर सेन्ट्रल जेल 
क्या हुआ था - भगत सिंह,सुखदेव व राजगुरु को फांसी हुई थी 
फांसी के समय भगत सिंह थे - 23 साल 5 महीने और 25 दिन के 

उससे पहले क्या हुआ था 

17 दिसंबर 1928 : लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने लाहौर के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर सॉण्डर्स की गोली मार कर हत्या कर दी 

8 अप्रैल 1929 : भगत सिंह ने सेन्ट्रल असेंब्ली पर बम फेंका और खुद को गिरफ्तार करवाया 

7 अक्टूबर 1930: सौंडर्स की हत्या के लिए एक विशेष ट्रिब्यूनल ने भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई.फांसी की डेट निश्चित की गए -  24 मार्च 1931 (सुबह 6 बजे) 

23 मार्च 1931 को क्या हुआ 

- जेल के बाहर जमा हो रही भीड़ से डरकर तय समय से 11 घंटे पहले भगत सिंह,सुखदेव व राजगुरु को लाहौर सेन्ट्रल जेल में फांसी दे दी गयी
- अंग्रेज इन तीनों का अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही करना चाहते थे लेकिन डर था कि चिता की लपटें देख बाहर जमा भीड़ जेल को तोड़कर अंदर आ जाएगी
- इसलिए उन्होंने चुपके से जेल के पीछे की दीवार को तोडा और वहां से एक ट्रक अंदर लाए
- तीनों शहीदों के पार्थिव शरीरों को बोरों में भरकर ट्रक में डाला गया 
- रात 10 बजे सतलज नदी के किनारे फ़िरोज़पुर के पास अंग्रेजों ने इन तीनों के पार्थिव शरीरों को जलाना शुरू किया 
- आग देखकर भीड़ आ गयी,अंग्रेजों ने इनके शरीर के अधजले टुकड़ों को नदी में फेंका और वहां से भाग गए 

आगे क्या हुआ 

27 सितंबर 1931 को लाला लाजपत राय के प्रसिद्द अखबार ‘The People’ ने पहली बार भगत सिंह का प्रसिद्द लेख ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ प्रकाशित किया.

आजकल 
- लाहौर में जहाँ भगत सिंह को फांसी हुई थी उस जगह को भगत सिंह चौक कहा जाता है 
- और फ़िरोज़पुर जहाँ उन्हें जलाया गया था वहां आजकल भारत का राष्ट्रीय शहीद स्मारक (हुसैनीवाला फ़िरोज़पुर) स्थित है 
#BhagatSingh
#SukhdevThapar
#Rajguru



11 जून 1897 - महान क्रांतिकारी पं राम प्रसाद बिस्मिल की जन्म जयन्ती।19 दिसम्बर 1927 - गोरखपुर जेल में फाँसी का फंदा चूम कर अमरत्व प्राप्त किया।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख, काकोरी क्रान्ति के मुखिया। 19 दिसम्बर 1927 को जब फांसी के तख्ते पर लेने वाले आये, तो वे 'वन्दे मातरम' और 'भारत माता की जय' कहते हुए खुद चल दिये।चलते समय पण्डित जी ने कहा...

"मालिक तेरी रजा रहे और तू ही तू रहे, बाकी न मैं रहूँ, न मेरी आरजू रहे। जब तक कि तन में जान रग़ों में लहू रहे, तेरा हो जिक्र या तेरी ही जुस्तजू रहे।।" 
        फाँसी घर के दरवाजे पर पहुंच कर उन्होंने उच्च स्वर में ललकारते हुए गर्जना की ... "मैं ब्रिटिश साम्राज्य का विनाश चाहता हूँ "। इसके बाद फाँसी के तख्त पर खड़े होकर पण्डित जी ने प्रार्थना की ' विश्वानि देव सवितुरदुरितानि....' आदि मन्त्रों का जाप करते हुए फाँसी के फंदे को अपने गले मे डाल लिया और अमरत्व प्राप्त किया।

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