Hindi Language it's Significance
मातृभाषा क्यों जरुरी...?
किसी भी संस्कृति का उत्कर्ष एवं पराभव उसकी भाषा से ही है...संस्कृत जब मातृभाषा रही तब भारत कैसा था...अखंड भारत, शूरवीर एवं सत्यान्वेषी चक्रवर्ती सम्राटों का भारत..
दुनिया को ज्ञान-विज्ञान, सर्वश्रेष्ठ सभ्यता और संस्कृति देने वाले ऋषि-मुनियों का भारत...
हिंदी के आगमन से इन गुणों में कुछ न्युनता आई और उर्दू के मिश्रण से जयचंद और गद्दारों ने चहुं ओर लूटपाट, बलात्कार और आतंक से देश को गुलामी तक ला खडा किया..
और ज्यूं ही आंग्लभाषा ने भारत का रुख किया तो हर घर भ्रस्टाचारियों, भिखारियों, परजीवियों और पाखंडियों से भर गया...विदेशी भाषा में पढे-लिखे देशी झूठे बापू और चाचा ने देशभक्ति का चोगा ओढकर शूरवीर, क्रांतिकारी देशभक्तों को चुन-चुनकर आंग्लभाषी विदेशियों के हाथ मरवा डाला
मां भारती बेडियों में जकडी रही...
ये है भाषा का असर...हमें फिर भी गर्व है अपनी मूलभाषा संस्कृत और उससे जन्मी हिंदी पर..मातृभाषा ही देश को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित कर सकती है...और करेगी...
प्रतिदिन हिंदी बोलने वाले देश में एक दिन के हिंदी दिवस की शुभकामनाएं..
आज के छात्रों को भी नहीं पता होगा कि भारतीय भाषाओं की वर्णमाला विज्ञान से भरी है। वर्णमाला का प्रत्येक अक्षर तार्किक है और सटीक गणना के साथ क्रमिक रूप से रखा गया है। इस तरह का वैज्ञानिक दृष्टिकोण अन्य विदेशी भाषाओं की वर्णमाला में शामिल नहीं है। जैसे देखे!
"क ख ग घ ड़" - पांच के इस समूह को "कण्ठव्य" "कंठवय" कहा जाता है क्योंकि इस का उच्चारण करते समय कंठ से ध्वनि निकलती है। उच्चारण का प्रयास करें।
"च छ ज झ ञ"- इन पाँचों को "तालव्य" *तालु* कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ तालू महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।
"ट ठ ड ढ ण" - इन पांचों को "मूर्धन्य" "मुर्धन्य" कहा जाता है क्योंकि इसका उच्चारण करते समय जीभ मुर्धन्य (ऊपर उठी हुई) महसूस करेगी। उच्चारण का प्रयास करें।
" त थ द ध न" - पांच के इस समूह को "दन्तवय" कहा जाता है क्योंकि यह उच्चारण करते समय जीभ दांतों को छूती है। उच्चारण का प्रयास करें।
" प फ ब भ म" - पांच के इस समूह को कहा जाता है "ओष्ठव्य" क्योंकि दोनों होठ इस उच्चारण के लिए मिलते हैं। उच्चारण का प्रयास करें।
दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है? हमें अपनी भारतीय भाषा के लिए गर्व की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही हमें यह भी बताना चाहिए कि दुनिया को क्यों और कैसे बताएं।
"दूसरों को भेजे और हमारी भाषा का गौरव बढ़ाएँ"!
Comments