When Arun Shourie took on Indira Gandhi
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वर्ष 1980, इंदिरा गांधी की वापसी हुई थी । आते ही उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार को चलता किया और वहां के नये मुख्यमंत्री बने श्री अब्दुल रहमान अंतुले। अंतुले इंदिरा गांधी के कट्टर समर्थक थे! इमरजेंसी में इन्होंने अपनी नेता का साथ दिया था! और कांग्रेस के विभाजन के बाद इंदिरा कांग्रेस अंतुले साहब ही मैनेज करते थे! मराठा लॉबी नाराज थी...,मगर इंदिरा गांधी को इन सब की कभी परवाह नहीं थी!... सरकार चलने लगी।
उस समय देश के सबसे प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार "इंडियन एक्सप्रेस" के संपादक थे श्री अरूण शौरी । एक दिन जब शौरी साहब अपने चैंबर में बैठे थे तो उनसे मिलने एक नामी डाक्टर साहब आए। उन्होंने बताया कि वे एक अस्पताल खोलना चाहते हैं... मगर....."फाइल सी एम" के यहां अटकी पड़ी है कारण???
पता चला कि 5 करोड़ रूपए एक ट्रस्ट को दान देने पर ही मंजूरी मिलेगी... और कुछ अन्य लोगों ने भी बताया कि बिना इसके कोई काम नहीं होता है ।
उस ट्रस्ट का नाम था "इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान" अरूण शौरी ने पहली बार इस ट्रस्ट का नाम सुना था ।उन्होंने डाक्टर साहब को विदा किया और अपने सहकर्मी गोविंद तलवलकर को इसके बारे में पता लगाने को कहा ।खोजबीन शुरू हुई मगर किसी को पता नहीं था कि यह ट्रस्ट कहां है। फिर एक दिन...सचिवालय बीट के एक पत्रकार ने पता कर ही लिय कि इस ट्रस्ट का कार्यालय कोयना बांध पुनर्वास आफिस के एक कमरे में है ।
खोजी टीम वहां पहुंची तो पता चला कि एक कमरे में दो लोग बैठते हैं , एक कैशियर ,एक टाइपिस्ट बस! बाहर में एक छोटा सा बोर्ड है जो दिखता भी नहीं यह भी पता चला कि दोनों स्टाफ लंच के लिए एक घंटे बाहर जाते हैं । बस ...उसी समय खोजी पत्रकार उस कमरे में घुसे । वहां उन्होंने पाया कि ट्रस्ट के नाम से करीब 102 चेक पड़े हैं!
जो विभिन्न श्रोतों से प्राप्त हुए हैं! एक रजिस्टर में उनकी एंट्री भी है। सारे चेक नंबर और बैंक का नाम नोट कर लिया। समय हो चुका था इसलिए उस दिन ये लोग वापस आ गए। जाकर शौरी साहब को बता दिया लेकिन वे खुश नहीं हुए ।
उनका कहना था कि इन सब की फोटो कॉपी चाहिए । दूसरे दिन ये पुनः कोयना पुनर्वास औफिस गये और खुद को आडिट टीम का बताकर कुछ डाक्यूमेंट फोटो कौपी करने का जुगाड कर लिया । फिर लंच ब्रेक में रजिस्टर और चेक की फोटो कॉपी हासिल हो गई । अब भी अरुण शौरी खुश नहीं थे ।उनका मानना था कि चेक से कैसे प्रूफ होगा कि यह किसी काम के एवज में दी गई है ? तब नई सरकार में शंटिंग में पड़े एक वरीय आई.ए.एस. अफसर की मदद ली गई। उन्होंने बताया कि जिस जिस तारीख का जिस बिजनेस मैन का चेक है उससे संबंधित कोई न कोई निर्णय कैबिनेट में पारित हुआ है । होटल के लिए जमीन दिए जाने के दिन होटल मालिक का चेक ।
बीयर बार एसोसिएशन का चेक और उसी दिन बीयर बार में डांस देखने की स्वीकृति । फिर क्या था...कड़ी से कड़ी मिलती गई । उस समय सीमेंट और चीनी का राशनिंग था। ये दोनों परमिट पर मिलते थे ।सीमेंट और चीनी को फ्री सेल में बेचने का पारी पारी से कंपनियों को छूट मिलता था ।यही सबसे बड़ा घोटाला था। जिस कंपनी ने पैसे दिए उसे लगातार छूट । जिसने नहीं दिए उस की राशनिंग।
अब न्यूज बनाने की बारी थी। संपादक खुद रात में 11 बजे कंपोज करने बैठे । उन्हें डर था कि लिक हो जाए ।और बात लिक हो गई। अंतुले साहब का फोन इंडियन एक्सप्रेस के मालिक श्री रामनाथ गोयनका को आया! उन्होंने साफ-साफ कह दिया..कि मैं संपादकीय मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करता और फोन रख दिया।
दूसरे दिन न्यूज छपा .. इंदिरा गांधी के नाम पर व्यापार! हंगामा हो गया । संसद में सवाल उठा... तब वित्त मंत्री आर वेंकटरमण ने कहा कि...इंदिरा गांधी को ऐसे किसी ट्रष्ट की जानकारी नहीं है
दूसरे दिन न्यूज छपा... झूठे हैं !आप वित्त मंत्री जी ! और साथ में ट्रस्ट के उद्घाटन समारोह की तस्वीर भी छाप दी गई जिसमें इंदिरा गांधी भी उपस्थित थीं।
हंगामा इतना बढ़ा कि ... अंतुले साहब बर्खास्त हो गये ।बताया जाता है कि मृणाल गोरे ने इस पर मुकदमा दायर कर दिया था और डर था कि इंदिरा गांधी भी न फंस जाएं। इसलिए अंतुले को बर्खास्त कर दिया गया। यह थी खोजी पत्रकारिता के स्वर्णिम काल की अनूठी मिसाल है|
सुशील कुमार सरावगी जिंदल राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार समिति नई दिल्ली भारत
email address abrpsindia@gmail.com
Sudesh DJV writes on contemporary subjects in the form of Articles and poems which is in the interest of the Nation in particular and for Mankind in general.
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